मायापुरी [हरिद्वार] का अनुपम परिचय महत्वपूर्ण जानकारी- haridwar mayapuri ki jankari hindi me

  मायापुरी का अनुपम परिचय 

मायापुरी [हरिद्वार] का अनुपम परिचय महत्वपूर्ण जानकारी- haridwar mayapuri ki jankari hindi me

हरिद्वार से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी- 

हरिद्वार में लगभग बारह महीने श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।  हरि का द्वार यह हरिद्वार है। यहां गंगा नदी के होने से यह और पावन बन गया। 

कहते हैं कि समुद्र मंथन के समय जब अमृत प्राप्ति के लिए देव  दानवों में लड़ाई हुयी तब उस समय अमृत की कुछ बूंदे धरती पर गिरी जहां अमृत की बूंदे गिरी उन स्थानों में से एक हरिद्वार भी है तभी से ही हरिद्वार अत्यंत पवित्र और धार्मिक आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया।  

भगवान श्री हरि स्वयं हरिद्वार में उपस्थित है इसलिए इसका नाम हरिद्वार पड़ा हरिद्वार के अन्य नाम- गंगाद्वार कनखल मायापुरी या माया कुशावर्त जवालापुर  भी है.

 कहते हैं की हरि की इस नगरी में जो कोई भी आता है वह अपनी सभी पापों से मुक्त होकर अपने कुल का उद्धार कर लेता है। 

हरिद्वार को चार धाम की यात्रा का प्रवेश द्वार समझा जाता है। 

यहां पर जो सबसे प्रसिद्ध कुंड है वह हर की पेडी है।  हर की पेडी को लेकर यह मान्यता है कि भगवन हरी ने यहां पर अपने चरण रखे थे। 

और  ऊपर से उसमें पावन गंगा का जल ,इसीलिए कहते हैं जिसने भी हर की पेडी में एक बार भी डुबकी लगा दी वह भव से पार हो गया। 

हर की पेडी ही वह स्थान है जहां पर गंगा पहाड़ों को छोड़कर मैदानी क्षेत्र में आती है। और फिर गंगा नदी उत्तर दिशा की ओर मुड़ जाती है। 

हर की पड़ी का भी अपना एक अलग इतिहास है।  असल में जब भागीरथ धरती पर गंगा नदी को लेकर आए, इसके बाद श्वेत नामक एक राजा ने इसी स्थान पर भगवान ब्रह्मा की तपस्या की , तपस्या से खुश होकर भगवान ब्रह्मा ने उसे वर मांगने को कहा।  

राजा ब्रह्मा के भक्त थे इसलिए उन्होंने यह वरदान मांगा कि हे ब्रह्म देव यह कुंड आपके नाम से प्रसिद्ध हो ऐसा वर दीजिए।  भगवान ब्रह्मा ने राजा को यह वरदान दिया तभी से ही यह ब्रह्म कुंड कहलाया जाने लगा। 

ब्रम्हा जी ने राजा को वरदान देते वक्त यह भी कहा कि जो कोई भी ब्रह्म कुंड में स्नान करेगा उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी।  तभी से ही यह ब्रह्मा कुंड- हर की पेडी का धार्मिक महत्त्व दुगना हो गया। 

तपस्या की अगर बात करें तो हरिद्वार हमेशा से ही तप की भूमि रहा है।  यहां पर कई साधु संन्यासी महात्मा तपस्या करते रहते हैं। 

अपना जीवन ईश्वर को समर्पित करते हैं। 

जी हां हरिद्वार का अर्थ सिर्फ गंगा नहीं गंगा माता की धरती के आने से पहले ही हरी ,का धाम था।  इस धाम में जो भी स्वच्छ मन से तपस्या करता था। 

 उसको ब्रम्हा विष्णु महेश तीनो का आशीर्वाद प्राप्त होता था।  क्योंकि पुराणों के अनुसार भी हरिद्वार इन तीनों देवों से  जुड़ा हुआ है। 

उस पर गंगा नदी का यहां पर होना सोने पर सुहागा है। 

हरिद्वार में हर की पैड़ी के अलावा भी और कई अलग अलग कुंड है।  जैसे कि गौ कुंड- कहते हैं कि जो कोई भी गौ  कुंड में स्नान करता है वह गौ हत्या के पाप से मुक्त हो जाता है। 

गौ कुंड के अलावा कुशाव्रत घाट भी हरिद्वार की मशहूर घाटों में से एक है।  यहां पर लोग बाग बड़ी दूर दूर से आकर यहां पर पिंडदान करते हैं जिससे  पितरों का उद्धार होता है। 

 पूर्व में उनसे जितने भी पाप हुए हैं उन सभी से उनको मुक्ति मिलती है। 

तथा वह कर्मकांड से छुटकारा पाते हैं इसके साथ हरिद्वार में अस्थि विसर्जन भी किया जाता है।  हरीद्वारका रहस्य इतिहास और भूमि से जुड़ी अद्भुत कहानियां यही सिमटकर नहीं रहती। 

अपने आप में हरिद्वार रहस्यों की खान है- यहां पर राजा विक्रमादित्य के भाई ने भी तपस्या की थी जिसके बाद राजा ने अपने भाई की याद पर ब्रह्मा कुंड पर सीड़ियों का निर्माण करवाया था। 

पुराणों के अनुसार यह धाम ईश्वर तक पहुंचने का रास्ता है। यह धाम भागीरथ की तपस्या से भी जुड़ा है। जिनके तप से मां गंगा धरती पर आई थी।  हरिद्वार कुंभ के मेले का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। कुंभ के वक्त यहां पर दुनिया भर के लोग आते है।   

उम्मीद करते हैं कि आपको हरिद्वार पर आधारित यह जानकारी अच्छी लगी होगी। 

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