मथुरा पुरी का पुरातन व नवीनतम परिचय - Mathura Puri Ka parichay hindi mein

मथुरा पुरी का परिचय
मथुरा पुरी का पुरातन व नवीनतम परिचय - Mathura Puri Ka parichay hindi mein
महान आत्माओं की पावन नगरी मथुरा पुरी भारत देश के उत्तर में स्थित प्रांत उत्तर प्रदेश में कालिंदी यमुने नदी के किनारे में स्थित भगवान श्री कृष्ण कन्हैया लाल की जन्मभूमि है |

भारतवर्ष सांस्कृतिक विकास जैसे कि- साहित्य कला दर्शन धर्म आदि मे भी मथुरा पुरी का अवर्णनीय योगदान रहा है | यहां पर बड़े-बड़े कवि मनीषियों का साधना स्थान भी रहा , जैसे- कि सूरदास जी, तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास जी महाराज, स्वामी दयानंद के गुरु स्वामी विरजानंद, कवि रसखान आदि विभिन्न महापुरुषों के साथ इस मथुरा पुरी का नाम जुड़ा हुआ है |

गंगा और यमुना यही दोनों नदियों के किनारे भारतीय संस्कृति के कई केंद्र बने हुए हैं- वाराणसी,प्रयाग, कौशांबी, हस्तिनापुर, कन्नौज आदि कितने ही आदि ऐसे स्थान है |

परंतु यह अनुक्रमाणिका की पूर्णता  जब तक नहीं हो सकती जब तक इस समय मथुरा पुरी को सम्मिलित ना कर दिया जाए |

मथुरा की गणना मोक्ष देने वाली सात पुरियों में की गई है | 

भगवान विष्णु ने इसे अपना सर्वाधिक प्रिय क्षेत्र बताया है | जिस प्रकार काशी में प्रमुख रूप से शिव की पूजा होती है ! इसी प्रकार मथुरा विष्णु की पूजा का स्थान है |

मथुरा के निकट ही मधुवन में पहले मधु नाम का असुर उसके पुत्र लवण का शासन था | इसी मधु के नाम पर इस नगर का नाम मधुरा या मधुपुरी व मधुवन नगरी बसी |

 ऐसा कहा जाता है कि तीर्थ स्थान पर किया पाप अमिट होता है, परंतु इसके विपरीत मथुरा में किया गया पाप मथुरा में ही नष्ट हो जाता है ! और यही इस तीर्थ की महानता है |

इस संदर्भ में निम्न दो कथाएं प्रसिद्ध हैं- मथुरा के निकट मधुबन में पहले असुर मधु का और उसके पुत्र लवण का शासन था | आसपास के क्षेत्र में इनका भारी उत्पात था |

भगवान राम के छोटे भ्राता शत्रुघ्न ने लवण को मार कर इस नगरी को असुरों से मुक्त कराया | पुराणों में प्राप्त यदुवंशी के इतिहास के अनुसार अंधक की वंशजा देवकी और वृष्णि के वंशज वसुदेव से जिस पुत्र का जन्म हुआ | वह भगवान नारायण के अवतार श्री कृष्ण थे |

अतः यह स्थान श्री कृष्ण की जन्मभूमि भी है | मनु के पौत्र ध्रुव को इसी स्थल पर भगवान का  साक्षात्कार तप करके हुआ था |

मथुरा एक प्राचीन नगर है और इसकी मान्यताएं भी प्राचीन है | आज भी यहां के घर व मंदिर प्राचीन सभ्यता से प्रेरित हैं |

और वर्तमान में आज आधुनिकता का प्रभाव भी इस नगर पर पड़ने लगा है | मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर यमुना घाट आदि के समीप सकरी गलियों में मिष्ठान की दुकानें प्रसिद्ध हैं |

और दूध दही के पकवान अच्छे एवं शुद्ध मिलते हैं क्योंकि कृष्ण नगरी में गायों के कारण दूध की अधिकता आज भी है |

इस नगरी में सैकड़ों प्राचीन व नवीन दार्शनिक स्थल हैं |

शिव मंदिर- मथुरा के रक्षा के लिए ! शिव इसके पूर्व में पिपलेश्वर, पश्चिम में भूतेश्वर, उत्तर में गोकर्णेश्वर और दक्षिण में रगेंश्वर के रूप में स्थित है |

विश्राम घाट-  यमुना नदी के किनारे 24 घाट स्थित हैं , पर सभी की अवस्था जल का उचित  प्रवाह न होने के कारण अत्यधिक खराब है |

मुख्य घाट पर कुछ न कुछ जल हमेशा भरा ही रहता है | इसी विश्राम घाट पर यात्री चाहे तो  स्नान कर सकते हैं |

इसी घाट के पास ही द्वारिकाधीश का मन्दिर अवस्थित है |

ध्रुव घाट- ध्रुव टीले पर छोटे मंदिर में ध्रुव जी की मूर्ति है ! मथुरा की परिक्रमा को वाराह पुराण में संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा की बराबर बताया गया है |

वल्लभाचार्य जी की बैठक यह विश्राम घाट के पास है |

कृष्ण जन्मभूमि- पहले इस स्थान पर कृष्ण जी का एक मंदिर था , पर मुसलमान शासक ने उस मंदिर को तुड़वा कर एक मस्जिद का निर्माण करा दिया था |

और मूल जन्म मंदिर या केशव देव मंदिर इसके पीछे बन गया |

 वर्तमान में मथुरा वासियों ने मिलकर ट्रस्ट आदि बनाकर कृष्ण जन्मभूमि का मंदिर निर्माण करा दिया है | यह लगभग  100 सीढ़ी ऊपर है जिसमें एक विशाल सभा मंडप है |

और श्री कृष्ण की की मूर्ति स्थापित है मंडप के चारों ओर अनेक देवी देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर स्थापित हैं | सभा मंडप की दीवारों एवं छतों पर रंगीन चित्रों द्वारा कृष्ण कथा चित्रित की गई है |

 द्वारकाधीश मंदिर विश्राम घाट के पास ही सकरी गली में यह मंदिर अवस्थित है | सीड़िया चढ़कर मंदिर प्रांगण में पहुंचा जाता है , मंदिर में एक सभा मंडप है और उसी के साथ एक कक्ष में द्वारिकाधीश की अति सुंदर एवं भव्य प्रतिमा अवस्थित है ,इसके दर्शन एक समय सारणी के अनुसार हो पाता है |

मथुरा यह आगरा से दिल्ली की ओर और दिल्ली से आगरा की ओर क्रमशः 5ं8 किलोमीटर उत्तर पश्चिम व 145 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में यमुना के किनारे राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर स्थित है |

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